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िफटर - CITS




           अलग-अलग प रवेश के  िलए अलग-अलग  ि कोण की आव कता होती है। इसिलए  ाथिमक उपचारकता  को आस-पास के  वातावरण का  ानपूव क
           अ यन करना चािहए। दूसरे श ों म , िकसी को यह सुिनि त करने की आव कता है िक वे सुरि त ह  और िकसी भी खतरे म  नहीं ह   ों िक इससे
           कोई मदद नहीं िमलेगी िक  ाथिमक उपचारकता  खुद घायल हो जाए।
           िकसी को नुकसान न प ँचाएँ  (Do no harm)

           अ र अ िधक उ ाह से िकया जाने वाला  ाथिमक उपचार जैसे िक पीिड़त के  बेहोश होने पर पानी िपलाना, थ े दार खून को पोंछना (जो र  ाव
           को कम करने के  िलए  ग का काम करता है),  ै  र को ठीक करना, घायल अंगों को ठीक से न संभालना आिद, अिधक जिटलताएँ  पैदा कर सकता
           है। गलत  ाथिमक उपचार िविधयों के  कारण अ र मरीज़ मर जाते ह , जो अ था आसानी से बच सकते ह । जब तक   थित की मांग न हो, घायल
               को न िहलाएँ । उसे जहाँ भी हो, लेटा देना सबसे अ ा है  ों िक अगर मरीज़ को पीठ, िसर या गद न म  चोट लगी है, तो उसे िहलाने से  ादा
           नुकसान हो सकता है।

           इसका मतलब कु छ भी न करना नहीं है। इसका मतलब यह सुिनि त करना है िक कु छ ऐसा िकया जाए िजससे देखभाल करने वाले ट ेिनंग के  ज़ रए
           आ   महसूस कर  िक इससे मामला सुरि त रहेगा। अगर  ाथिमक उपचारकता  को सही तरीके  से संभालने का भरोसा नहीं है, तो बेहतर है िक
           ह  ेप न कर  या ऐसा न कर । इसिलए आघात पीिड़त, िवशेष  प से बेहोश     को िहलाने के  िलए ब त सावधानी से आकलन करने की
           आव कता होती है। घाव से धँसी  ई व ुएँ  (जैसे चाकू , कील) को हटाने से  ादा नुकसान हो सकता है (जैसे र  ाव बढ़ जाना) हमेशा मदद के
           िलए पुकारना बेहतर होता है।
           आ ासन (Reassurance)

           पीिड़त     से उ ाहवध क बातचीत करके  उसे आ   कर ।
           र  ाव रोक   (Stop the bleeding)

           यिद पीिड़त     को र  ाव हो रहा है, तो घायल िह े पर दबाव डालकर र  ाव को रोकने का  यास कर ।
            िण म घंटे (Golden hours)

           भारत म  अ तालों म  िसर की चोट, कई आघात, िदल का दौरा,   ोक आिद जैसी िवनाशकारी िचिक ा सम ाओं के  उपचार के  िलए सव  म तकनीक
           उपल  है, लेिकन मरीज अ र खराब  दश न करते ह   ों िक उ   समय पर उस तकनीक तक प ँच नहीं िमलती है। इन   थितयों से मरने का जो खम,
           पहले 30 िमनट म  सबसे अिधक होता है, अ र तुरंत। इस अविध को  िण म अविध कहा जाता है। जब तक मरीज अ ताल प ँचता है, तब तक वह
           उस मह पूण  अविध को पार कर चुका होता है। जीवन बचाने के  िलए  ाथिमक िचिक ा देखभाल काम आती है। यह सुरि त ह डिलंग और प रवहन
           के  मा म से िजतनी ज ी हो सके  िनकटतम आपातकालीन क  म  प ँचने म  मदद करता है। समय िजतना कम होगा, उतना ही बेहतर उपचार लागू
           होने की संभावना है
             ता बनाए रख  (Maintain the hygiene)

           सबसे मह पूण  बात यह है िक  ाथिमक उपचार देने से पहले  ाथिमक उपचारकता  को हाथ धोने और सुखाने की आव कता होती है या सं मण को
           रोकने के  िलए द ाने पहनने चािहए
            ीिनंग और ड ेिसंग (Cleaning and dressing)

           प ी लगाने से पहले घाव को हमेशा अ ी तरह से साफ कर  और घाव को साफ पानी से ह ा धो ल ।
           घावों या खुले घावों पर  थानीय दवाओं का उपयोग न कर
           वे ऊतकों को अिधक परेशान करते ह , िजतना िक वे सहायक होते ह । साधारण ड  ाई  ीिनंग या पानी और िकसी  कार की प ी से साफ करना सबसे
           अ ा है।

           •  र  ाव रोक   (Stop bleeding): आघात पीिड़त को बचाने के  िलए र  ाव को िनयंि त करना सबसे मह पूण  चीजों म  से एक है। र  ाव
              को िनयंि त करने के  िकसी अ  तरीके  को आजमाने से पहले घाव पर सीधे दबाव का उपयोग कर ।
           •  शॉक का इलाज कर  (Treat shock): शॉक, शरीर से र   वाह का नुकसान, अ र शारी रक और कभी-कभी मनोवै ािनक आघात के  बाद
              होता है। शॉक म      की  चा अ र बफ   की तरह ठं डी हो जाती है, वह उ ेिजत हो जाता है या उसकी मानिसक   थित बदल जाती है, और
              चेहरे और होठों के  आसपास की  चा का रंग पीला पड़ जाता है। अनुपचा रत, शॉक घातक हो सकता है। कोई भी     जो गंभीर चोट या जीवन-
              धमकाने वाली   थित से गुज़रा है, उसे शॉक का जो खम है।



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                                          CITS : पूंजीगत सामान & िविनमा ण - िफटर - पाठ 1
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